नई पुस्तकें >> आखिरी परिचय आखिरी परिचयशरत चन्द्र चट्टोपाध्याय
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
पति ब्रजबाबू और बेटी रेणु को छोड़ कर सविता रमणी बाबू के साथ भले ही रहने लगी हो, पर दोनों की ज्यादा पटी नहीं। एक दिन रमणी बाबू ने भी उसे छोड़ दिया। तब उसके जीवन में आए विमल बाबू। क्या विमल बाबू से उस का वह आखिरी परिचय था ? अथवा विमल बाबू के बाद भी उसके जीवन में कोई आया ? क्या इस जीवन प्रवाह में वह पति और बेटी को भुला सकी ? सविता की गलतियों की सजा क्या रेणु और ब्रजबाबू को नहीं भोगनी पड़ी ? क्या बेटी मां को कभी माफ कर सकी ?
परंपरागत धार्मिक एवं सामाजिक बंधनों में छटपटाती नारी की अनोखी दास्तान है ‘आखिरी परिचय’, जिसे ‘नारी वेदना के पुरोहित’ शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने पंद्रहवें अध्याय तक ही लिखा था और जिसे पूरा किया था श्रीमती राधारानी देवी ने, जिनसे शरत ने उपन्यास की रूपरेखा के बारे में चर्चा की थी।
परंपरागत धार्मिक एवं सामाजिक बंधनों में छटपटाती नारी की अनोखी दास्तान है ‘आखिरी परिचय’, जिसे ‘नारी वेदना के पुरोहित’ शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने पंद्रहवें अध्याय तक ही लिखा था और जिसे पूरा किया था श्रीमती राधारानी देवी ने, जिनसे शरत ने उपन्यास की रूपरेखा के बारे में चर्चा की थी।
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